ये शहर
लंबी उँची इमारतें हर कदम पर
एक घर मुझको दिखा नही कहीँ।
आते जाते लोगों की भिड़ बेशुमार
एक आदमी मुझको मिला नही कहीँ।
रास्ते हज़ार जाते हर तरफ
मंजिल मुझको मिला नही कहीँ।
बनते बिगड़ते रिश्तों की सौगात यहाँ
एक अदद दोस्त मिला नही कहीँ।
रौशनी से होती रंगीन रातें यहाँ
चहरे पे मुस्कान मिला नही कहीँ।
नकाब ही नकाब नजर आते हर तरफ
एक चेहरा मुझको मिल नही कहीँ।
ये शहर हमे जितना देता है
उससे ज्यादा ले लेता है कहीँ।
एक घर मुझको दिखा नही कहीँ।
आते जाते लोगों की भिड़ बेशुमार
एक आदमी मुझको मिला नही कहीँ।
रास्ते हज़ार जाते हर तरफ
मंजिल मुझको मिला नही कहीँ।
बनते बिगड़ते रिश्तों की सौगात यहाँ
एक अदद दोस्त मिला नही कहीँ।
रौशनी से होती रंगीन रातें यहाँ
चहरे पे मुस्कान मिला नही कहीँ।
नकाब ही नकाब नजर आते हर तरफ
एक चेहरा मुझको मिल नही कहीँ।
ये शहर हमे जितना देता है
उससे ज्यादा ले लेता है कहीँ।
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