अहसास
उसके ख्याल इतने प्यारे थे कि सब कुछ भुला कर मैं कहीं खो गया था। उसके अहसास से हवाओं में एक मीठी खुशबू घुल जाती थी। उसकी आँखें, उसकी खामोशी इतना कुछ कह देती थी की मैं उसी में उलझ कर रह गया। हकीक़त से दूर, कभी उसका सामना करने की कोशिश नही की। पर जब सामने आई तो सब कुछ लूटा बैठा था मैं। मैं फिर से तनहा हो गया था। फिर से वही गलती हो गयी थी। पर साला दिल है के मानने को तैयार नही। दरअसल उसकी महक इतनी मीठी होती है कि हमेशा के लिए भूलना थोडा कठिन होता है।
आज सुबह उठ्ने का मन नही कर रहा था। आँखे लाल और मोटी हो रखी थी। कल रात मैं खूब रोया था। मेरे पास अब कोई नही था जिससे मैं अपने दिल कि बात कर सकता। न ही मेरे घरवाले और न ही दोस्त। बिल्कुल तनहा था मैं। मैं सोचता रहा... प्रभु ने मेरे साथ ही ऐसा क्यों किया। क्यूँ कोई कहता है ... मुझे तुमसे प्यार है... हर वक़्त तुम मुझे दिखाई देते हो.... तुम्हारा अहसास, तुम्हारी खुशबू मेरा पीछा करती है ..... और अचानक सब कुछ बदल जाता है। दरअसल मैं एक जमूरे कि तरह खेल दिखा रहा था। मैं इन्सान था ही नही। मेरा कोई .......
हे भगवन मैं फिर से उसी भंवर में डूबने जा रहा हूँ। नही नही.... ये समय ख्वाबों और किसी के अहसास का नही है.... मैं जनता हूँ मेरा स्वाभाव ऐसा नही है..पर......ये समय काम करने को है। बाई बाई दोस्तों... अब थोडा काम कर लेने दो। बाईईईईईईईई........