ना उम्र ना उसके साथ की चाहत है
बस प्यार को बुलबुले कि जिंदगी दे दे।
ना तख्तो ताज ना आवाम की ख्वाहिश है
बेघर घुमते आवारा को थोड़ी जमीं दे दे।
ना रिश्ते, ना नाते ना दोस्त की तलाश है
उंच नीच समझ सकूं इतनी रौशनी दे दे।
ना सोने कि सेज ना फूलों के हार की तमन्ना है
एक आह भी ना भर सकूं ऐसी मौत ही दे दे।
4 comments:
आमीन!
वाह!
कुछ नया पढ़ सकूं, दो-चार नई पंक्ति और दे दे!
कुछ नया पढ़ सकूं, दो-चार नई पंक्ति और दे दे!
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