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:: अरमान ::
Monday 16 July, 2007
वो कहते हैं
दिन के भिड़ मे कई सपने संजोता हूँ
पर तन्हाई में मैं भी कभी रोता हूँ ।
वो कहते हैं रातों को नही सोता हूँ
पर मैं भी खुली आंखों से कई रातें खोता हूँ।
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विनोद
धनु, भारतीय, लिखना, पढना, बातें करना, तेज गाडियां, अपनी मोटरसाईकिल, तैरना, अंतर्जाल भ्रमण , चैनल भ्रमण, पेड, पत्ते, नदियाँ, पहाड़, सड़कें, पानी, गाने, फिल्म, हास्य नाटक, घूमना, ........... लंबी फेहरिस्त है ....
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