अश्कों की जगह....
अगर टपकता अश्कों के बदले लहू आखों से,
कोई किसी को फिर शायद ही रुलाता।
दिल टूटने कि होती जो आवाज,
तो तुम्हे दर्द का अंदाजा हो पता।
यादें ना आती जो खामोशी से चुपके चुपके,
तो मेरे घर कि रौनक होती तेरी महफ़िल से भी ज्यादा।
ना होता ग़र चांद में दाग
खूबसूरती का मुझे तोड़ मिल जाता।
ग़र करता ना कोई किसी से बेवफाई
तो शायरों मे मेरा नाम कहॉ से आता।
अंतरा
कोई किसी को फिर शायद ही रुलाता।
दिल टूटने कि होती जो आवाज,
तो तुम्हे दर्द का अंदाजा हो पता।
यादें ना आती जो खामोशी से चुपके चुपके,
तो मेरे घर कि रौनक होती तेरी महफ़िल से भी ज्यादा।
ना होता ग़र चांद में दाग
खूबसूरती का मुझे तोड़ मिल जाता।
ग़र करता ना कोई किसी से बेवफाई
तो शायरों मे मेरा नाम कहॉ से आता।
अंतरा
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