Thursday 24 May, 2007

वो कुछ कहती है


मुझे चुप रहना गवारा नही
तुम्हे चाहा तो पता चला
खामोसियाँ भी कुछ कहती है ।



मुझे पता नही
गुमसुम में भी मजा है
तुम्हे चाहा तो पता चला
तन्हाई क्या कहती है ।

मुझे पता नही
बंदिशों में भी मजा है
तुम्हे चाहा तो पता चला
सादगी क्या कहती है ।

मुझे पता नही
चाहत क्या चीज है
तुम्हे चाहा तो पता चला
प्यार क्या कहता है ।

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